Palang Tod Romance पलंग तोड़ रोमांसअगर आप दिल्ली जैसे शहर में रहते या रहती हैं और आपकी उम्र 28 साल हो गई और फिर भी अभी तक आपने कभी किसी को चुंबन तक नहीं दिया है तो ये खुद को बेज़्जती जैसा लगता है । मनीष की भी यही हालत थी, अच्छी नौकरी, अच्छा घर, दिखने में हैंडसम, लेकिन अभी तक कोई गलफ्रैंड नहीं, कोई प्यार नहीं । पहले तो मनीष पढ़ाई में बिज़ी रहा, फिर नौकरी में और अपनी पर्सनल लाइफ के लिए कभी सोचा ही नहीं ।
Palang Tod Romance आज उसके पास सबकुछ है, जैसे अच्छी नौकरी,
पैसे लेकिन आज उसे ये एहसास हो रहा है कि वो अकेला है । वो आज ये देख रहा है कि माँ बाप और दोस्तों के प्यार से हटकर कोई ऐसा भी होना चाहिए जिससे आप रोज़ अपने दिल की बात कह सकें और कुछ उसकी बात सुन सकें । लेकिन मनीष के पास आज ऐसा कोई नहीं था और वो अब एक साथी की तलाश कर रहा था लेकिन वो दिनभर अपने ऑफिस में देखता कि जो प्रेमी जोड़े हैं वो शुरू शुरू में तो प्रेम से रहते हैं लेकिन बाद में उनके बीच बहुत तनातनी रहती है और लड़ाई होती है इसलिए मनीष एक ऐसी लड़की चाहता था जिसके साथ वो बस वक्त गुज़ारा कर सके, रात बीता सके और मौज मस्ती कर सके ।
मनीष एक ऐसी लड़की ढूंढ रहा था जो उसे उसकी ज़िंदगी पूरी आज़ादी से जीने दे और अपनी ज़िंदगी भी आज़ादी से जीए । लेकिन मनीष को ऑफिस में कोई भी लड़की पसंद नहीं थी और जिन्हें पसंद करता था वो शादी के चक्कर में थी इसलिए उनकी मनीष से कभी नहीं बनी ।
ऑफिस में एक नईं ईंटर्न आयी जिसका नाम मनीषा था और मनीषा बहुत आशावादी लड़की थी ।
हमेशा सपनों की दुनिया में रहती थी और किसी भी कीमत पर पैसा कमाकर तरक्की करना चाहती थी । मनीषा एक साधारण परिवार में पैदा हुई लेकिन वो सपने हमेशा बहुत ऊंचे घर के देखती थी और पिछले 3 से 4 सालों में ये सपना बहुत ऊंचा हो गया था । एक दिन मनीषा को मनीष से एक फाइल में साइन करवाने थे तो उसे मनीष के पास भेजा गया । Palang Tod Romance
- मनीषा ने कहा – मे आई कम ईन सर ?
- मनीष अपने काम में बिज़ी था, उसने कहा – येस और जैसी ही ऊपर देखा वो मनीषा को देखता ही रह गया । मनीषा ने फाइल आगे बढ़ाते हुए कहा – सर आपके साइन चाहिए ।
- मनीष ने आंखें हटाई और फाइल पर साइन कर दिए ।
- मनीषा – थैंक यू सर
- मनीष ने आंखें झुकाकर जवाब दिया ।
- मनीषा जाने लगी तो मनीष ने रोका – सुनो
- तुम्हारा नाम क्या है, पहले तो तुम्हें यहाँ नहीं देखा मैनें
- मनीषा – सर मैनें एक हफ्ते पहले ही ज्वाइन किया है, मेरा नाम मनीषा है ।
- मनीष से हल्की से मुस्कान दी और मनीषा चली गई ।
लेकिन मनीष उसके पीछे से उसे देखता रहा ।
मनीषा की चाल और उसकी अदा मनीष को दिवाना कर रही थी । अब मनीष रोज़ ऑफिस में मनीषा को देखने लगा और ये नोटिस करने लगा कि वो क्या पहनती है, क्या खाती है, कहां जाती है और उसके बारे में चोरी-छुपे पता करने लगा । धीरे-धीरे मनीष को पता चला कि मनीषा बिल्कुल उसी तरह की लड़की है जैसी वो ढूंढ रहा है और उसने प्लान बनाना शुरू किया क्योंकि अब वो मनीषा को किसी भी हद में पाना चाहता था । जो आग मनीष के सीने में पिछले कईं महीनों से धधक रही थी, मनीष उसे किसी भी कीमत पर बुझाना चाहता था ।
दूसरी तरफ मनीषा भी बहुत हसीन और आकर्षक थी ।
उसका शरीरी कसा हुआ था और दो चीज़ें जो मर्द किसी औरत में देखता है वो दोनों चीज़ें मनीषा के पास बहुत बढ़िया थी । मनीषा पहाड़ी लड़की थी इसलिए गोरी भी बहुत थी और सुंदर भी, किसी भी मर्द का दिल ऐसी औरत को देखकर पिघल ही जाएगा और ऊपर से मनीषा स्कर्ट पहनकर ऑफिस आती थी जिसमें उसका थोड़ा अंग दिख जाया करता था और पूरा ऑफिस उसे देखकर अपनी आंखें सेकता था । लेकिन मनीष उसे पाना चाहता था, वो दूसरे लोगों की तरह मनीषा को ख्यालों या सपनों में देखकर इमेजिन नहीं करना चाहता था, वो उसे असलियत में पाना चाहता था ।
एक दिन मनीषा ऑफिस के नीचे से ऑटो का वेट करने लगी,
- इतने में मनीष गाड़ी लेकर आया और गाड़ी का शीशा नीचे करके बोला – हाय
- मनीषा ने कहा – ओ, हेल्लो सर
- मनीष – कहीं छोड़ दूं
- मनीषा – नहीं, सर आप परेशान हो जाएंगे
- मनीष – अरे फॉर्मेलिटी मत करो, बैठो
- मनीषा – ठीक है और मनीषा बैठ गई
- अब गाड़ी चल रही है और मनीष अपनी धुन में चुपचाप गाड़ी चला रहा है ।
- मनीष – तो मनीषा, ये पहली जॉब है, कैसी लगी
- मनीषा – ठीक है सर, अच्छा लग रहा है
- मनीष – सर ऑफिस में हूं, यहाँ मनीष कह सकती हो और ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जब तक मुझे सर कहोगी, बात नहीं हो पाएगी ।
- मनीषा – ठीक है मनीष
- मनीष – ये हुई न बात । अच्छा घर पर कौन-कौन है
- मनीषा – बस मम्मी-पापा और एक छोटा भाई
- मनीष – सही है यार, जितनी छोटी फैमिली होती है, उतने ्प्रॉब्लम कम होते हैं ।
- मनीषा – हाँ सर, ये बात तो है
- मनीष – कहाँ रहती हो, द्धारका में
- मनीषा – आपको कैसे पता मैं द्धारका रहती हूं
- मनीष घबराया और बोला – तुम्हारा सीवी मेरे पास भी आया था, वहीं देखा
- मनीषा – अच्छा, सर वो मैं हरपुर कॉलोनी रहती हूं, मेट्रो से बस थोड़ा दूर ही है ।
- मनीष – बढ़िया है और फिर मनीष ने गाड़ी में थोड़े रोमांटिक गाने लगाए और चलता गया और मनीषा को छोड़ दिया ।
अब रोज़-रोज़ मनीषा गाड़ी में ही जाने लगी और दोनों का दोस्ताना बढ़ने लगा ।
दोनों एक दूसरे को समझने लगे और पसंद भी करने लगे । मनीष का प्लान बन गया और मनीषा ने ही पहले मनीष को आई लव यू कह दिया । बस फिर क्या था, मनीष ने एक रूम का जुगाड़ किया और मनीषा को वहां ले गया । मनीषा सब समझ रही थी लेकिन वो खुद ये चाहती थी क्योंकि वो मनीष को पसंद भी करती थी और आज वही कंपनी में ऐसा था जो उसे तरक्की दे सकता था । मनीष ने वाइन का इंतज़ाम भी किया था और जब सेलिब्रेशन करने लगा तो दोनों ने वाइन पीना और नाचना शुरू किया ।
Palang Tod Romance दो-तीन गिलास पीने के बाद दोनों को थोड़ा नशा होने लगा लेकिन
आज दोनों ही नशे में डूबना चाहते थे क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी और दोनों आज एक-दूसरे की इस आग को बूझाना चाहते थे । रोमांटिक गाना चालू हो गया और दोनों करीब आए । अब मनीष का एक हाथ मनीषा की कमर पर था और दूसरे हाथ से मनीषा के हाथ पकड़े हुए थे और मनीषा भी मनीष की आंखों में डूब चुकी थी ।
धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब और बहुत करीब आए ।
दोनों के होंठ आपस में मिल जाने को बेताब थे और कपकपा रहे थे कि मनीष ने आगे बढ़कर मनीषा के होठों पर करारा चुंबन दे दिया और मनीषा को बेताब कर दिया और कुछ देर यूं ही दोनों एक दूसरे की जीब से जीब मिलाने लगे और एक दूसरे को कसकर दबोचने लगे । फिर मनीष ने मनीषा को बिस्तर पर डाला और फिर कभी मनीष ऊपर तो कभी मनीषा नीचे । दोनों के बीच एक गरमी सी पैदा हो गई और अब इस गरमी को रोकने का एक ही तरीका था – दोनों का मिलन । Palang Tod Romance
धीरे-धीरे सारी नज़दीकियाँ खत्म होती गईं और गरम सांसें गरम आहों में बदलने लगीं ।
पूरे कमरे में दोनों के बीच कुछ भी अजनबी नहीं रहा । दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह आज़मा लेना चाहते थे और आज़मा भी रहे थे । दोनों की बेताबी तड़प में बदल चूकी थी, कोई एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहता था । मनीषा को दर्द तो हो रहा था लेकिन उसे इस दर्द की मिठास भी महसूस हो रही थी और वो चाहती थी कि मनीष उसपर यूं ही चढ़ा रहे और उसे उस परमसुख तक ले जाए जहाँ वो जाना चाहती है । Palang Tod Romance
मनीषा की प्यास भरी उम्मीदें और तरक्की का लालच उससे ये सब करवा रहा था
और वो मज़े से कर भी रही थी क्योंकि उसे अब इस खेल में मज़ा आने लगा था । वो मनीष को वो सुख दे रही थी जिसे मनीष पिछले कईं महीनों से ढूंढ रहा था । मनीष जैसे चाहता वैसे मनीषा को आगे-पीछे कर रहा था और मनीषा भी उसी की बेताबी और ज़्यादा बढ़ा रही थी । मनीषा की आंखों में शरारत थी और चेहरे पर मस्ती और यही देखकर मनीष तड़प चुका था और अब वो मनीषा को तड़पा रहा था । दोनों एक दूसरे के शरीर को गरमी को महसूस कर रहे थे और एक दूसरे में पूरी तरह खो गए थे । Palang Tod Romance
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